Friday, October 29, 2010

विषय की तलाश है ...

कुछ लिखना चाहता हूँ
पर विषय की तलाश है
हँसना चाहता हूँ
पर खुशियाँ नहीं पास हैं
कब बरसेगा वो अम्बर
मेरे मन को प्यास है
मिल जाए इक ख़ुशी
जिसकी कबसे आस है
फिर से न जाने क्यों
आज ये दिल उदास है ||

कहते हैं खोजने पर खुदा भी मिल जाता है

तो सोचने पर विषय भी मिल ही जाएगा
कितना भी रोके खुदको
लेकिन मौसम आने पर ये अम्बर भी बरस ही जाएगा ||

3 comments:

  1. शुभकामनाएँ..विषय तो आस पास बिखरे हुए हैं..जरा नज़र तो डालें तबीयत से.

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  2. Ek baar vishay milne lag padenge to sainkadon mil jayenge!

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  3. मिल जाए इक ख़ुशी
    जिसकी कबसे आस है
    फिर से न जाने क्यों
    आज ये दिल उदास है

    this was the most beautiful part of a beautiful piece

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