मनुज आया बनकर पीने वाला ...
Friday, September 30, 2011
मजबूत डोर
यूं तो रास्ता है पक्का, पर मंज़िल पता नहीं है |
एक है डोर है बहुत मजबूत, पर छोर कहीं बंधा नहीं है |
एक बंधन है पक्का, पर रिश्ता पता नहीं है ||
- गौरव
1 comment:
मनोज कुमार
October 1, 2011 at 10:16 PM
सुंदर अभिव्यक्ति।
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सुंदर अभिव्यक्ति।
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