
कुछ पल जो छिन गए मुझसे
बातें जो हमेशा चाही थी इस दिल ने |
सपने संजोये मै भी बैठा था
आएँगे वो दिन मेरा दिल हमेशा मुझसे कहता था |
वो दिन आए, मगर मै ही नहीं था
खुशियाँ थी कहाँ, मगर मै कहीं था |
इसीलिए नहीं कहूँगा कि वह सपना टूटकर चूर हुआ
पर ना जाने क्यों मै ही उन्हें खो देने को मजबूर हुआ |
लेकिन कुछ पल जो छिन गए मुझसे
बहुत सारे पल वो मुझे दे गए ज़िंदगी के |
- गौरव
nice
ReplyDeleteलेकिन कुछ पल जो छिन गए मुझसे
ReplyDeleteबहुत सारे पल वो मुझे दे गए ज़िंदगी के |
Yah huee na zindagee ke prati wafadari!
Last lines of this poem say it all . Nice one
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