Saturday, April 17, 2010

कुछ पल जो छिन गए मुझसे ..



कुछ पल जो छिन गए मुझसे
बातें जो हमेशा चाही थी इस दिल ने |

सपने संजोये मै भी बैठा था
आएँगे वो दिन मेरा दिल हमेशा मुझसे कहता था |

वो दिन आए, मगर मै ही नहीं था
खुशियाँ थी कहाँ, मगर मै कहीं था |

इसीलिए नहीं कहूँगा कि वह सपना टूटकर चूर हुआ
पर ना जाने क्यों मै ही उन्हें खो देने को मजबूर हुआ |

लेकिन कुछ पल जो छिन गए मुझसे
बहुत सारे पल वो मुझे दे गए ज़िंदगी के |

- गौरव

3 comments:

  1. लेकिन कुछ पल जो छिन गए मुझसे
    बहुत सारे पल वो मुझे दे गए ज़िंदगी के |
    Yah huee na zindagee ke prati wafadari!

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  2. Last lines of this poem say it all . Nice one

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