मनुज आया बनकर पीने वाला ...
Friday, September 30, 2011
मजबूत डोर
यूं तो रास्ता है पक्का, पर मंज़िल पता नहीं है |
एक है डोर है बहुत मजबूत, पर छोर कहीं बंधा नहीं है |
एक बंधन है पक्का, पर रिश्ता पता नहीं है ||
- गौरव
Saturday, April 23, 2011
कल की सोच घबराता क्यों है?
कल
की
सोच
घबराता
क्यों
है
?
आज
छू
लिया
आसमान
,
तो
इतना
इतराता
क्यों
है
?
न
कल
का
पता
है
न
आज
पे
काबू
फिर
समय
से
दौड़
लगाता
क्यों
है
?
- गौरव
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