Monday, July 23, 2012

मेरी अभिलाषा

एक चाह जिसकी न कोई जुबां न कोई भाषा
कर दू ज़िन्दगी अपनी तेरे नाम, अब तो सिर्फ यही है मेरी अभिलाषा !!

Monday, March 26, 2012

कल फिर एक नयी सुबह होगी

कल फिर एक नयी सुबह होगी
कदमो के नीचे ये जहां और निगाह आसमान पर
इस चाह को पूरा करने कि फिर से वही दौड़ होगी |

हर दिन नहीं आती जीत हिस्से में
अविजित होते हैं लोग, सिर्फ कहानी किस्से में
एक हार से जिंदगी नहीं तेरी तबाह होगी
लड़ने को हो जा तैयार
कल फिर एक नयी सुबह होगी |

- गौरव